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सोशल मीडिया डेस्क. देशभर में पिछले 7 दिनों से नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB), एनआरसी (NRC), जामिया मिलिया इस्लामियाऔर गृहमंत्री अमित शाह चर्चा में हैं। 11 दिसंबर को राज्यसभा से ‘कैब’ पास हुआ था। इसके बाद ही इसे लेकर गूगल पर सर्चिंग बढ़ी।15-16 दिसंबर को गूगल पर सबसे ज्यादा जामिया मिलिया इस्लामिया को सर्च किया गया।पाकिस्तान में सबसे ज्यादा गृहमंत्री अमित शाह को सर्च किया गया। हमने 9 से 16 दिसंबर के बीच के गूगल ट्रेंड्स के आंकड़े निकालकर जाना कि आखिर बीते 7दिनों में इन विषयों पर लोगों ने गूगल से क्या पूछा?
सबसे ज्यादा ‘कैब’ सर्च किया गया
अमित शाह सबसे ज्यादा पाकिस्तान में सर्च हुए
यूजर्स ने कैब को लेकर ऐसे सवाल पूछे
एनआरसी को लेकर क्या पूछा...
जेएनयू को लेकर यह पूछा
अमित शाह को लेकर क्या पूछा
मुंबई. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि ग्रोथ बढ़ाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने भारतीय कंपनियों से ग्लोबल सप्लाई चेन के साथ मिलकर एक्सपोर्ट बढ़ाने की अपील भी की। दास ने इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में चर्चा के दौरान बताया कि मॉनेटरी पॉलिसी से पहले आरबीआई ने 1,539 मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों का सर्वे किया था। इस दौरान निवेश चक्र में सुधार के संकेत मिले। कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 45% फंड फिक्स्ड एसेट्स में डाला। पिछले साल इसी अवधि के दौरान यह दर 18.9% थी।
आरबीआई ने इस साल 6 में से 5 बार रेपो रेट में कमी की
दास ने कहा कि आर्थिक विकास दर में सुस्ती का अंदाजा फरवरी में ही हो गया, इसलिए ब्याज दरें घटाना शुरू कर दिया था। लेकिन, यह चौंकाने वाली बात है कि जब दरें घटाने का सिलसिला रोका तो बाजार को अचंभा क्यों हुआ? बता दें आरबीआई ने 5 दिसंबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। विश्लेषक 0.25% कटौती की उम्मीद कर रहे थे। हालांकि, इससे पहले फरवरी से अक्टूबर तक लगातार पांच बार में 1.35% कमी की थी।
आरबीआई गवर्नर का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था को लेकर उद्देश्यपूर्ण और जानकारी देने वाली चर्चा की जरूरत है। ग्रोथ में सुस्ती और महंगाई दर में बढ़ोतरी को देखते हुए आरबीआई सभी जरूरी कदम उठाएगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि बैंकों और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की स्थिति अच्छी रहे। आर्थिक विकास दर के लिए आरबीआई और सरकार ने सही समय पर कदम उठाए हैं।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार कोकेंद्र से कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में खाली पदों को तीन महीने के भीतर भरा जाए। साथ हीकेंद्र से दो सप्ताह के भीतर अपनी वेबसाइट पर केंद्रीय सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी के सदस्यों के नाम डालने के लिए भी कहा है।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने वकील प्रशांत भूषण की याचिकाओं पर कहा कि शीर्ष अदालत के 15 फरवरी के फैसले के बावजूद केंद्र और राज्य सरकार ने सीआईसी और राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की है। बेंच में शामिल जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम केंद्र और राज्य को आज से नियुक्ती करने का निर्देश देते हैं।
‘आरटीआई के कुछ दिशानिर्देश विकसित करने की जरूरत’
सुनवाई के दौरान सूचना के अधिकार के दुरुपयोग का मुद्दा भी उठा। बेंच ने कहा- हम आरटीआई कानून के खिलाफ नहीं हैं। ऐसे लोग जो उस मुद्दे से नहीं जुड़े हों और आईटीआई फाइल करते हों, वे इसका इस्तेमाल अपराध और ब्लैकमेलिंग के लिए भी कर सकते हैं। इसलिएकुछ प्रकार के दिशानिर्देशों को विकसित करनेकी जरूरत है।
‘निर्धारित समय में सूचना आयुक्त की नियुक्ति हो’
बेंच आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। इसमें शीर्ष अदालत के आदेश को लागू करने के लिए सरकारी अधिकारियों को एक निर्देश देने की मांग की गई थी। जो उन्हें निर्धारित समय के भीतर और पारदर्शी तरीके से सूचना आयुक्त नियुक्त करने के लिए कहे।
प्रयागराज. रामपुर से सपा सांसद आजम खान के विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम खान का निर्वाचन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को रद्द कर दिया। 2017 के चुनाव में अब्दुल्ला रामपुर कीस्वार सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। बसपा नेता नवाब काजिम अली ने अब्दुल्ला की उम्र को आधार बनाकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। दलील दी थी कि, चुनाव के वक्त अब्दुल्ला 25 साल के नहीं थे,बल्कि उस वक्त उनकी उम्र करीब 11 महीने कम थी।अब्दुल्ला ने चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में अपनी उम्र 26 साल बताई थी।
क्याहै पूरा मामला?
2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा नेता नवाब काजिम अली 20.5% वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे। उसके बाद काजिम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि अब्दुल्लाकी जन्मतिथि एक जनवरी 1993 है। काजिम का कहना था कि अब्दुल्ला नेचुनाव लड़ने के लिए जाली दस्तावेज दाखिल किए और झूठा शपथपत्र लगाया था। काजिम ने दावे के तौर पर कई दस्तावेज भी कोर्ट को दिए। काजिम ने अब्दुल्ला आजम के हाईस्कूल की मार्कशीट, पासपोर्ट समेत कई दूसरे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में दर्ज जन्मतिथि को आधार बनाया। उन्होंने निर्वाचन रद्द किए जाने की मांग करते हुए नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की थी।
अब्दुल्लाकी तरफ से ये दी गई थी दलील
अब्दुल्ला आजम की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई थी कि प्राइमरी में दाखिले के समय शिक्षक ने गलत जन्मतिथि अंकित कर दी थी। अब्दुल्ला ने कोर्ट को बताया थाकि, जब वह एम. टेक कर रहे थे, तबहाईस्कूल सहित अन्य प्रमाण पत्रों में दर्ज जन्मतिथि बदलवाई थी। सीबीएसई बोर्ड को भी जन्मतिथि बदलनेकी अर्जी दी गई थी, जो लंबित है। पासपोर्ट पर जन्मतिथि संशोधित हो चुकी है। अब्दुल्ला ने बताया कि, उनका जन्म 30 सितंबर 1990 को राजधानी लखनऊ के क्वींस मेरी अस्पताल में हुआ था।इस मामले में कोर्ट मेंअब्दुल्ला की मां ताजीन फातिमा, डॉक्टर उमा, विद्यालय के प्रधानाचार्य सहित कुल 9 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
2017 में पहली बार लड़ा था चुनाव
2017 में अब्दुल्ला आजम खान पहली बार सपा के टिकट पर स्वार सीट से विधानसभा चुनाव लड़े थे। उन्होंने भाजपा की प्रत्याशी लक्ष्मी सैनी को 53,096 वोटों से हराया था। अब्दुल्ला को 106,443 वोट मिले थे। वहीं, हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले बसपा उम्मीदवार नवाब काजिम अली खान को 42,233 वोट हासिल हुए थे।
लखनऊ.नागरिकता कानून के विरोध की आग पूर्वोत्तर और दिल्ली के बादउत्तर प्रदेश तक पहुंच गई। दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में रविवार रात प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस बल प्रयोगके विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में छात्र उग्र हो गए। पथराव के बाद पुलिस ने उन्हें काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। सोमवार सुबह लखनऊ में नदवा कॉलेज के छात्रों ने पुलिस पर पथराव किया। योगी सरकार ने एहतियातन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 6 जिलों में धारा 144 लागू की। अलीगढ़ मेरठ, सहारनपुर और अलीगढ़ में इंटरनेट बंद किया गया।
अलीगढ़: एएमयू 5 जनवरी तक बंद, हॉस्टल खाली कराए गए
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी(एएमयू) में 4दिनों से चल रहा छात्रों का प्रदर्शन रविवार रात उग्र हो गया। पथराव में डीआईजी अलीगढ़ समेत 10 पुलिसकर्मी घायल हुए। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने आंसू गैस के गोले दागकर स्थिति पर काबू किया। बल प्रयोग में60 से ज्यादा छात्र जख्मीहो गए। प्रशासन ने परीक्षाएं टालते हुए5 जनवरी तक यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है। छात्रों से हॉस्टल खाली करा लिए गए हैं।
लखनऊ: नदवा कॉलेजके छात्रों ने पुलिस पर पथराव किया
सोमवार सुबह नदवा कॉलेज के छात्रों ने प्रदर्शन किया। पुलिस नेउन्हें रोकने की कोशिश की तो छात्र उग्र हो गए।पथराव में कई पुलिसकर्मी और राहगीर घायल हुए। उग्र छात्रों को काबू करने के लिए पुलिस ने कॉलेज के गेटों को बाहर से बंद किया। रविवार देर रात भी यहां 500 छात्रों ने प्रदर्शन किया था।
सहारनपुर: मदरसाछात्रों ने रोड पर नमाजपढ़ी
सहारनपुर में बीते बुधवार को मदरसा छात्रों ने नागरिकता कानून के विरोध में हाईवे पर हंगामा किया था। पुलिस ने 200 लोगों पर केस दर्ज किया है। देवबंद में भीपुलिस अलर्ट पर है। रविवार रात देवबंद थाना क्षेत्र में छात्रों ने मार्च निकालने की कोशिश की। जब पुलिस ने उन्हेंरोका तो छात्रों ने सड़क पर नमाज पढ़ी। इसके बाद तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने जिले में इंटरनेट बंद कर दिया।
मेरठ:इंटरनेट ठप, साइबर सेल की टीमें चौकन्नी
सहारनपुर में विरोध को देखते हुए इससे सटे मेरठ जिले में भी पुलिस अलर्ट पर है। यहां धारा 144 पहले से लागू है। सोशल मीडिया की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। इसके लिए साइबर सेल की पांच टीम बनी है। रविवार रात 12 बजे से 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। हालांकि, सोमवार को स्कूल-कॉलेज खुले हैं।
बरेली:आईएमसीअध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा पर एफआईआर
नागरिकता कानून के विरोध में बरेली में भी प्रदर्शन हुए। दो दिन पहले यहां इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने नौमहला मस्जिद पर प्रदर्शन किया था। इस दौरान उन्होंने बिल वापस न लेने पर हिंदुस्तान की गलियों में खून बहने व खूनी संघर्ष जैसी तकरीरें दी थी। इसके बाद तौकीर रजा समेत 50-60 अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन और भड़काऊ भाषण देने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई।
मुख्यमंत्री योगी ने डीजीपी को तलबकिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथने डीजीपी को सूबे के हालात को लेकरतलब किया। सीएम ने रविवार रात अलीगढ़, सहारनपुर, लखनऊ समेत तमाम शहरों में हुए प्रदर्शन पर डीजीपी से जानकारी ली। सीएम ने सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देशदिए हैं। संवेदनशील जिलों में अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया गया है।
नेशनल डेस्क. नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में रविवार को दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में उग्र विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसके बाद हुई पुलिस कार्रवाई में 100 से ज्यादा छात्र जख्मी हो गए। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समेत लगभग सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने इस पुलिस कार्रवाई का विरोध किया है। कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा ने ट्वीट करते हुए सरकार को कायर बताया साथ ही लिखा कि वो जनता की आवाज से डरती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा, 'क्या पूरे देश को हिंसा में फूँक देना ही क्या आज के सत्ताधारियों का असली ‘गुजरात मॉडल’ है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने हिंसा के लिए जिम्मेदार दोषियों को जल्द दंडित करने की। हालांकि भाजपा नेताओं ने हिंसक विरोध पर सवाल खड़े किए। जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में रविवार को प्रदर्शनकारियों ने 4 बसों समेत 8 वाहन फूंक दिए थे।
प्रियंका ने कहा- सरकार कायर है
पुलिस कार्रवाई के विरोध में प्रियंका वाड्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'देश के विश्वविद्यालयों में घुस घुसकर विद्यार्थियों को पीटा जा रहा है। जिस समय सरकार को आगे बढ़कर लोगों की बात सुननी चाहिए, उस समय भाजपा सरकार उत्तर पूर्व, उत्तर प्रदेश, दिल्ली में विद्यार्थियों और पत्रकारों पर दमन के जरिए अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है। यह सरकार कायर है। #Shame'
जनता की आवाज़ से डरती है। इस देश के नौजवानों, उनके साहस और उनकी हिम्मत को अपनी खोखली तानाशाही से दबाना चाहती है। यह भारतीय युवा हैं, सुन लीजिए मोदी जी, यह दबेगा नहीं, इसकी आवाज़ आपको आज नहीं तो कल सुननी ही पड़ेगी।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) December 15, 2019
अखिलेश ने पूछा- क्या यही असली ‘गुजरात मॉडल’ है
जामिया में हुई घटनाओं के विराध में ट्वीट करते हुए अखिलेश यादव ने लिखा, 'जिस प्रकार जामिया मिलिया के छात्र-छात्राओं से बर्बरतापूर्ण हिंसा हुई है और विद्यार्थी अभी भी फँसे हुए हैं, ये बेहद निंदनीय है। पूरे देश को हिंसा में फूँक देना ही क्या आज के सत्ताधारियों का असली ‘गुजरात मॉडल’ है.
जिस प्रकार जामिया मिलिया के छात्र-छात्राओं से बर्बरतापूर्ण हिंसा हुई है और विद्यार्थी अभी भी फँसे हुए हैं, ये बेहद निंदनीय है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 15, 2019
पूरे देश को हिंसा में फूँक देना ही क्या आज के सत्ताधारियों का असली ‘गुजरात मॉडल’ है.
मायावती ने शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस मसले को लेकर एक के बाद एक तीन ट्वीट किए। जिनमें उन्होंने लिखा, 'नए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में की गई हिंसा में पहले उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ व फिर जामिया यूनिवर्सिटी में तथा पूरे जामिया क्षेत्र में भी जो काफी बेकसूर छात्र व आमलोग शिकार हुए हैं यह अति दुर्भाग्यपूर्ण है तथा पार्टी पीड़ितों के साथ है।' 'ऐसे में उ.प्र. व केन्द्र सरकार को चाहिए कि वे इन वारदातों की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराएं और उनके मूल दोषी किसी भी कीमत पर बचने नहीं चाहिये तथा पुलिस व प्रशासन को भी निष्पक्ष रूप में कार्य करना चाहिए। 'वरना यह आग पूरे देश में व खासकर शिक्षण संस्थानों में भी काफी बुरी तरह से फैल सकती है। साथ ही, सभी साम्प्रदायों से यह भी अपील है वे शान्ति-व्यवस्था को बनाये रखें।'
1. नए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में की गई हिंसा में पहले उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ व फिर जामिया यूनिवर्सिटी में तथा पूरे जामिया क्षेत्र में भी जो काफी बेकसूर छात्र व आमलोग शिकार हुए हैं यह अति दुर्भाग्यपूर्ण है तथा पार्टी पीड़ितों के साथ है।
— Mayawati (@Mayawati) December 16, 2019
नकवी ने लिखा, 'हिंसा किसी सवाल का समाधान नहीं'
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'अहिंसा के देश में हिंसा किसी सवाल का समाधान नहीं। शान्ति, अमन वक़्त की जरूरत है। पुश्तों से भारतीय नागरिकों की नागरिकता पर कोई खतरा , सवाल नहीं।'
अहिंसा के देश में हिंसा किसी सवाल का समाधान नहीं।शान्ति, अमन वक़्त की जरूरत है। पुश्तों से भारतीय नागरिकों की नागरिकता पर कोई खतरा , सवाल नहीं ।
— Mukhtar Abbas Naqvi (@naqvimukhtar) December 15, 2019
तेजस्वी बोले- बदनाम करने के लिए हुई हिंसा
लालू प्रसाद यादव के बेटे और राजद नेता तेजस्वी यादव ने आंदोलन को शांतिपूर्ण बताते हुए ट्विटर पर लिखा, 'जामिया के साथियों, आपने अपना प्रतिरोध शांतिपूर्ण और संवैधानिक रखा है। आपको समर्थन व ज़िंदाबाद। प्रायोजित तरीके से आपके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश हुई है। ऐसे तत्वों को चिन्हित करिए। दिल्ली पुलिस के साथियों, ये आपके ही साथी है जो मुल्क और संविधान की हिफाज़त के लिए सड़कों पर है।'
जामिया के साथियों, आपने अपना प्रतिरोध शांतिपूर्ण और संवैधानिक रखा है। आपको समर्थन व ज़िंदाबाद। प्रायोजित तरीके से आपके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश हुई है।ऐसे तत्वों को चिन्हित करिए।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) December 15, 2019
दिल्ली पुलिस के साथियों, ये आपके ही साथी है जो मुल्क और संविधान की हिफाज़त के लिए सड़कों पर है।
सिसोदिया ने हिंसा के पीछे साजिश का आरोप लगाया
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कई ट्वीट किए, जिनमें उन्होंने इस हिंसा के पीछे भाजपा और पुलिस पर आरोप लगाया। अपने एक ट्वीट में उन्होंने एक वीडियो क्लिप शेयर करते हुए लिखा, 'पुलिस मीडिया के आने से पहले तैयारी कर रही है ताकि बाद में दिखाया जा सके कि देखो प्रदर्शनकारी छात्रों ने कितने वाहन तोड़ डाले...'
पुलिस मीडिया के आने से पहले तैयारी कर रही है ताकि बाद में दिखाया जा सके कि देखो प्रदर्शनकारी छात्रों ने कितने वाहन तोड़ डाले... https://t.co/t1WmWdqqSk
— Manish Sisodia (@msisodia) December 15, 2019
संजय झा ने लिखा भारत उनके साथ खड़ा है
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय झा ने छात्रों पर पुलिस कार्रवाई का विरोध करते हुए ट्विटर पर लिखा, 'जब आप अपने युवा छात्रों से देश के दुश्मनों की तरह व्यवहार करने लगते हो तो आप राष्ट्र की आत्मा को नष्ट कर देते हो। लेकिन इससे अन्याय के खिलाफ लड़ाई का उनका संकल्प और भी मजबूत हो जाता है। क्योंकि आप उनके स्वतंत्रता के अधिकार का गला नहीं घोंट सकते और वे अकेले नहीं है, भारत उनके साथ खड़ा है। #Jamia #JNU #AMU'
When you treat your young students as enemies of the state you destroy the soul of a nation. But they will be more strengthened in their resolve to fight injustice. Because you cannot asphyxiate their feeedom to be. And they are not alone. India stands by them.#Jamia #JNU #AMU
— Sanjay Jha (@JhaSanjay) December 15, 2019